वार्षिक समागम/ परिक्रमा के मुख्य बिंदु
*भगवान् श्रीविष्णु सहस्त्रनाम महायज्ञ प्रतिदिन
*भगवान् श्री माधव अभिषेक प्रतिदिन
*भगवान् श्रीमाधव पचासा अखंड पाठ
*भगवान् श्रीमाधव आरती
*भगवान् श्रीविष्णु सहस्त्रनाम अखंड पाठ
*भजन गायकों/ शास्त्रीय संगीत के विद्वानों को भगवान् के श्री चरणों में गायन/वादन का अवसर
*कवियों को काव्यपाठ काभगवान् के श्री चरणों में गायन/वादन का अवसर
*नौका विहार
*माँ गंगा यमुना से संवाद
*श्रीमाधवकुल भूषण सम्मान
*श्रीमाधवरत्न का अवसर
*स्मृतिचिन्ह,अंगवस्त्र एवं श्रीफल का वितरण
*वालेंटियर को7दिन प्रवास
*सभी को भोजन प्रसाद
*सेवा कार्य का अवसर
*वापसी स्वल्पाहार पैकेट
*परिक्रमा दूरी100 कि.मी.
*दीप दान
*भजन कीर्तन पदयात्रा
*प्रशिक्षण शिविर-गठिया हृदय मानसिक रोग आदि
*शंखनाद में प्रशिक्षण
*शिखा सम्राट शंखसम्राट
|
भगवान् श्री द्वादश माधव वार्षिक परिक्रमा तीर्थराज प्रयाग
6 से 10 जनवरी 2020
जब आप तीर्थराज प्रयाग के अधिष्ठाता भगवान् श्री माधव (भगवान् श्री हरी) की परिक्रमा करते हैं तो यह आपको जगतनियंता नारायण के चैतन्य से अभिसिक्त कर देती है !परिणाम स्वरुप आपके भीतर सकारात्मक ऊर्जा का स्टार बढ़ जाता है !जिससे आप के भीतर असंतुलन की स्थिति समाप्त हो जाती है और आप सहज स्थिति को प्राप्त होते हैं ! इस परिक्रमा को करने से आप के भीतर दैवी शक्ति से सीधा संवाद होने लगता है ! दैवी शक्तियां सदैव सामूहिकता में कार्य करती हैं ! इस लिए परिक्रमा भी समूह में की जाती है ! यह मनुष्य को आपस में जोड़ती है ! यह तथ्य हमारे पूर्वज भली भांति जानते थे ! तभी उन्होंने परिक्रमा का विधान बनाया और उसे पल्लवित किया !
तीर्थराज प्रयाग में सृष्टि के आरम्भ काल से विराजमान भगवान् श्री हरी और माता श्री लक्ष्मी के श्री चरणों में 5 दिन के सेवा , प्रदक्षिणा और समागम के महापर्व पर दैवीय चैतन्य के सरोवर में गोता लगाने का अवसर बिना किसी भेद भाव के सभी को प्राप्त हो रहा है !
- प्रयाग संसार में एक मात्र स्थान है जिसका स्थान देवता बन कर भगवान् श्री हरी ने इसे गौरवान्वित किया है !
- प्रयाग में भगवान् श्री हरी, माधव के रूप में जाने जाते हैं और उनके एक नहीं पूरे बारह स्वरुप सृस्टि के आरम्भ काल से यहाँ विराजमान हैं !
- जिस प्रकार सारे तीर्थों की उत्पत्ति प्रयाग से मानी जाती है, उसी प्रकार भगवान् श्री द्वादश माधव परिक्रमा से सारी परिक्रमाओं की उत्पत्ति मानी जाती है!
- इस पावन परिक्रमा का सूत्रपात श्री भरद्वाज मुनि ने भगवान् श्री शंकर जी से वर प्राप्त कर किया था !
- इस परिक्रमा को विधर्मियों द्वारा लगभग 600 वर्ष पूर्व बंद कर दिया गया था !
- इस पावन परिक्रमा की पुनर्स्थापना आध्यात्मिक गुरु स्वामी श्री अशोक जी महाराज ने 2014 में की थी ! तब से यह निर्बाध गति से चल रही है !
- इस पावन परिक्रमा को करने से प्राणी के जन्मों के संचित पाप का क्षय होता है, जिससे पुण्य का उदय होता है !
- विद्वानों का मत है कि भगवान् कि इस पावन परिक्रमा को करने से प्राणी 84 लाख योनियों कि जन्म मृत्यु रूपी परिक्रमा से मुक्ति पा जाता है !
- इस पावन परिक्रमा के स्थापनकर्ता सप्तऋषियों में से एक श्री भरद्वाज मुनि के अनुसार तीर्थराज प्रयाग में किया जाने वाला कई भी कर्मकांड, तीर्थ प्रवास, यज्ञ, पूजा, अभिषेक, संस्कार(चाहे वह यज्ञोपवीत हो, विवाह हो, पिंडदान, तर्पण हो) कल्पवास आदि तब तक पूर्ण और फलित नहीं होते जब तक कि द्वादश माधव परिक्रमा न कि जाए!
- स्मरण रखिये भगवान् श्री माधव जी सृस्टि के उत्पत्तिकर्ता है, वे मोक्ष, सिद्धि, पुण्य, वैभव, आरोग्य, सम्पन्नता, रूप, लावण्य, आनंद सहित सब कुछ देने का सामर्थ्य रखते है! भगवान् के बारह स्वरूपों के दर्शन, परिक्रमा से वह सब कुछ प्राप्त हो जाता है जिसे आप न जाने कब से ढूंढ रहे है !
- भगवान् कि इस परिक्रमा को समय समय पर भगवान् शंकर सहित सभी देवी देवताओं ऋषि मुनियों ने किया ! त्रेता युग में भगवान् श्री राम ने भाई लक्ष्मण और माता जानकी के साथ यह परिक्रमा की थी और भगवान् श्री गदा माधव के स्थान पर एक रात व्यतीत कि थी !
- विद्वानों संतो का मत है की जिस प्रकार माघ माह में प्रतिवर्ष सारे देवी देवता और आत्मायें प्रयाग में एक महीने प्रवास करते हैं और कल्पवासियों पर कृपा वर्षा करते हैं ! ठीक उसी प्रकार 5 दिवसीय भगवान् द्वादश माधव परिक्रमा के अवसर पर प्रतिवर्ष भगवान् श्री हरि अपनी शक्ति के साथ साक्षात् उपस्थित हो कर भक्तों पर कृपा वर्षा करते है !
- सनातन धर्म की मान्यता के अनुसार भक्तों पर ईश्वर की कृपा सामूहिकता में सघन होती जाती है!अतः अधिक से अधिक संख्या में एकत्र हो कर जगतनियंता भगवान् श्री माधव जी तथा माता श्री लक्ष्मी की कृपा प्राप्त कर जीवन धन्य बनाएं!
|